I am write my thoughts only,i am not a professional writer,but i learnt gazals some how and i also wrote some gujarati gazals in Chhand also.
Share with friendsतू नदीया के पार है,और में अभी भी मजधार मे हू। मन से छोड़ दिया सब,दिखावे के लिये संसार मे हू। जिम्मेदारीओ की बेड़िया हे,जानता हू कतार मे हू। कभी ना जन्म हो फिर उस मृत्यु के इंतजार मे हू। विपुल प्रीत
उजड़ तो चूकी अब गुज़र जाये तो अच्छा जींदगी की शाम यू ही ढल जाये तो अच्छा कितनो के दिल बहलाने के काम आया हू, अब,बस आग मे ये जल जाये तो अच्छा। विपुल प्रीत
अब वो दौर वो ज़माने कहाँ, हम भी अब वो दीवाने कहाँ पहले बैठ जाते थे कही भी, अब वो पुराने ठिकाने कहाँ। विपुल प्रीत
छाता ले के निकलू बारिश मे,तो भी भीग जाता हू। इसी वजह से में अब अपनी किस्मत को नही आजमाता हू। विपुल प्रीत