I'm Deepsikha and I love to read StoryMirror contents.
Share with friendsसांसे छोटेी छोटेी होने लगी टूटते बिखरते संभालते हुए सपनो से गुज़रते हुए बस एहसास बनते गए खुशबू के जैसी पक्की यादें बनती गयी नींद ही थी वह शायद या फिर कुछ मीठे लम्हे हम ऐसेही मिले और ज़िन्दगी बनती गयी बस कुछ वही छोटी छोटी सासें ~ Deepsikha