उस रोज़ ना कोई शोर, ना कोई साज़ - ओ - सामान होगा,
बस दो गज़ ज़मीन ओर पूरा आसमान होगा |
- कunal
वो जो हर बार होता था इस बार नहीं होगा,
वो जो नज़रों से दिल पर वार होता था इस बार नहीं होगा,
कह दो हवाओं से यहां पत्तझड का आलम है,
वो फूलों से खुशबू चुराने का फरेब इस बार नहीं होगा|
- कunal